रेडियोलॉजिस्ट न होना जान पर पड़ रहा भारी

केस एक
– केशव बीमार था। उसके पिता 12वीं गढ़वाल रेजीमेंट में तैनात हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्र में गुप्तकाशी के खोड़ बांगर से 28 किमी पैदल तथा 4 घंटे का सफर कर केशव के दादा पुष्कर सिंह और मां नेहा उसे लेकर बेस अस्पताल पहुंचे। केशव को बाल रोग विभाग में भर्ती किया गया, लेकिन जब उसे अल्ट्रा साउंड की जरूरत हुई, तो तीन किमी दूर श्रीनगर स्थित निजी केंद्र में आना पड़ा।

केस दो
– चमोली जिले के कांसुवा की पूजा की डिलीवरी ड्यू डेट से एक माह बाद हुई। टूटे-फूटे मार्गों पर कहीं पैदल तो, कहीं वाहनों से सफर कर बेस अस्पताल पहुंची। डॉक्टरों ने प्रसव पीड़ा से तड़प रही पूजा का आपरेशन किया, तो मालूम हुआ कि बच्चे का सिर बहुत बड़ा है। चार दिन बाद सीटी स्कैन से पता चला कि उसका दिमाग पूरा बना ही नहीं है। डॉक्टरों के मुताबिक यदि आपरेशन से पूर्व अल्ट्रासाउंड हुआ होता, तो डिलीवरी नॉर्मल ही कराई जाती। बच्चे की जान बचाने को ही आपरेशन करना पड़ा था।

श्रीनगर। हेमवती नंदन बहुगुणा बेस चिकित्सालय की रेडियोलॉजी विभाग संबंधी समस्याएं जस की तस बनी हैं। यात्रा सीजन शुरू होने पर रोटेशन पर की गई व्यवस्था भी तैनात डॉक्टरों ने अपने आप ही बंद कर दी है। आपदा आने के बाद ड्यूटी पूरी कर यहां से गए डॉक्टर के स्थान पर कोई नया रेडियोलॉजिस्ट नहीं आया है, जिससे रोगियों को अल्ट्रासाउंड कराने तथा सीटी स्कैन की रिपोर्ट पढ़वाने के लिए भटकना पड़ रहा है।
बेस अस्पताल में यात्रा सीजन के लिए 15-15 दिन के रोटेशन पर पीएमएस के रेडियोलॉजिस्टों को तैनात किया गया था। गत 16-17 जून को आई आपदा के बाद ड्यूटी कर लौटे डॉक्टर के स्थान पर आज तक कोई डॉक्टर नहीं गया। तैनात किए गए डॉक्टरों ने यात्रा बंद हो जाने का हवाला देते हुए आने से इंकार कर दिया है। सीएमएस डा. डीएल शाह कहते हैं कि रेडियोलॉजिस्ट की जरूरत के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग दोनों ही विभागों को लिखित रूप से दिया जा चुका है। उम्मीद है कि व्यवस्था पर रेडियोलॉजिस्ट शीघ्र ही भेजे जाएंगे।

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